Journal of Advances in Developmental Research

E-ISSN: 0976-4844     Impact Factor: 9.71

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कबीर के ‘सबद‘ में व्यंग्य का स्वरूप

Author(s) डॉ. द्वारिका प्रसाद चन्द्रवंशी
Country India
Abstract एक महान क्रांतदर्शी एवं वाणी के तानाशाह के रूप में विख्यात मध्यकालीन निर्गुम भक्ति धारा के प्रवर्तक स्वनाम धन्य कवि कबीरदास अपने व्यंगयात्मक तेवरों से ज्यादा प्रसिद्ध हुए हैं। वे बिना लाग लपेट के बात करने वाले एवं सीधे न समझने वालों के लिए व्यंग्यात्मक तेवर अपनाने वाले संत रहे हैं। उनकी वाणी संग्रह साखी, सबद और रमैनी के रूप में प्रसिद्ध हैं। उन्होंने तीनों में यत्र-तत्र व्यंग्य का प्रयोग किया है। उनका व्यंग्य किसी को दुख देने के लिए नहीं वरन सत्य की प्रतिष्ठा के लिए एवं ज्ञान चक्षु को खोलने के लिए होते हैं। प्रस्तुत आलेख में कबीरदास जी द्वारा उनके वाणी संग्रह ‘सबद‘ में जो व्यंग्य के स्वरूप दिखाई देते हैं उन्हीं पर संक्षेप में प्रकाश डाला गया है।
Keywords आतम, बाभन, तुरूक, खतना, बाट, चिकनिया, डिगंबर, जंगम, मिसिर, तसबी, कसबी
Published In Volume 11, Issue 1, January-June 2020
Published On 2020-06-02
Cite This कबीर के ‘सबद‘ में व्यंग्य का स्वरूप - डॉ. द्वारिका प्रसाद चन्द्रवंशी - IJAIDR Volume 11, Issue 1, January-June 2020.

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