Journal of Advances in Developmental Research

E-ISSN: 0976-4844     Impact Factor: 9.71

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बच्चों के विरुद्ध अपराधः कारण और परिणामों का समाजशास्त्रीय अध्ययन

Author(s) नीतू बाला आर्य
Country India
Abstract बाल अपराध, किशोर अपराध की ओर बढ़ने का प्रथम चरण है। यह वह आरंभिक सीढ़ी है जहाँ व्यक्ति अपराध की बुनियादी समझ विकसित करता है और आपराधिक कृत्यों में अपनी दक्षता बढ़ाता है। प्रत्येक व्यक्ति की कुछ इच्छाएँ और आवश्यकताएँ होती हैं, जिन्हें वह समाज में स्वीकृत और प्रचलित तरीकों से पूरा करना चाहता है। किन्तु, जब ये इच्छाएँ स्वीकृत तरीकों से पूरी नहीं हो पातीं, तो व्यक्ति दो संभावनाओं का सामना करता हैकृया तो वे इच्छाएँ दबा दी जाती हैं, या व्यक्ति उन्हें समाज-विरोधी और अनैतिक तरीकों से पूरा करने का प्रयास करता है। ऐसे प्रयास, जो समाज की नैतिकता और विधियों का उल्लंघन करते हैं, अपराध की श्रेणी में आते हैं और व्यक्ति को अपराधी बना देते हैं।
राज्य द्वारा निर्धारित परिभाषा के अनुसार, 16 से 17 वर्ष की आयु के बच्चों द्वारा किए गए समाज-विरोधी व्यवहार को बाल अपराध कहा जाता है। बच्चों के विरुद्ध होने वाले अपराधों में आधुनिक प्रवृत्तियाँ जैसे शारीरिक और मानसिक दुर्व्यवहार, चोट, उपेक्षा, अशिष्ट व्यवहार, और यौन उत्पीड़न शामिल हैं। ये अपराध घर, स्कूल, अनाथालय, आवास ग्रह, सड़कों, कार्यस्थलों, जेल, और सुधार गृहों जैसे किसी भी स्थान पर हो सकते हैं। बचपन में इस प्रकार के हिंसा और दुर्व्यवहार के अनुभव बच्चों पर दीर्घकालिक मानसिक और भावनात्मक प्रभाव डालते हैं, जिससे उनके व्यक्तित्व विकास में बाधा उत्पन्न होती है।
यह सर्वविदित है कि “आज के बच्चे कल का भविष्य हैं।” इन बच्चों के कंधों पर समाज की समस्त जिम्मेदारी टिकी हुई है। यदि हमारी अनदेखी के कारण ये कंधे कमजोर हो जाते हैं, तो यह समाज के लिए गंभीर संकट का कारण बन सकता है।
प्रस्तुत शोध बच्चों के प्रति हो रहे अपराधों के आधुनिक स्वरूपों को उजागर करने का एक गहन और सार्थक प्रयास है। यह अध्ययन इन अपराधों के कारणों, परिणामों और संभावित समाधानों पर प्रकाश डालने का उद्देश्य रखता है, ताकि बच्चों के बेहतर विकास और समाज के उज्जवल भविष्य को सुनिश्चित किया जा सके।
Keywords .
Field Arts
Published In Volume 16, Issue 1, January-June 2025
Published On 2025-01-30
Cite This बच्चों के विरुद्ध अपराधः कारण और परिणामों का समाजशास्त्रीय अध्ययन - नीतू बाला आर्य - IJAIDR Volume 16, Issue 1, January-June 2025.

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