Journal of Advances in Developmental Research

E-ISSN: 0976-4844     Impact Factor: 9.71

A Widely Indexed Open Access Peer Reviewed Multidisciplinary Bi-monthly Scholarly International Journal

Call for Paper Volume 16 Issue 1 January-June 2025 Submit your research before last 3 days of June to publish your research paper in the issue of January-June.

राजा राममोहन राय द्वारा समाज सुधार

Author(s) Kapil kumar meena
Country India
Abstract राजा राममोहन राय भारतीय समाज के महान सुधारक और समाजवादी विचारक थे, जिनकी सोच और कार्यों ने भारतीय समाज को आधुनिकता की ओर अग्रसर किया। उनका जीवन भारतीय समाज के सुधार, शिक्षा और धार्मिक उन्मूलन के क्षेत्र में अनमोल योगदान के रूप में उभरा। राजा राममोहन राय का जन्म 22 मई 1772 को बंगाल के राधनगर (अब पश्चिम बंगाल) में हुआ था। वे एक समृद्ध परिवार से थे, जिनके माता-पिता ने उन्हें एक समग्र और तर्कसंगत शिक्षा दी। उनकी विद्वता और सामाजिक दृष्टिकोण ने उन्हें भारतीय समाज के मध्यवर्ग और साम्राज्यवादी व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया। राजा राममोहन राय ने भारतीय समाज की प्राचीन परंपराओं और धार्मिक विश्वासों पर प्रहार करते हुए एक नए दृष्टिकोण की नींव रखी। उन्होंने विभिन्न धार्मिक पंथों और परंपराओं के प्रति तर्कसंगत दृष्टिकोण अपनाया और अंधविश्वास, मूर्तिपूजा, जातिवाद और सामाजिक असमानताओं के खिलाफ आवाज उठाई। उनका जीवन एक संघर्ष था, जिसमें उन्होंने समाज के पिछड़े वर्गों और महिलाओं के लिए समान अधिकारों की वकालत की। उनकी सोच और कार्यों ने भारतीय समाज को अधिक प्रबुद्ध, समतावादी और तर्कसंगत बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए। राजा राममोहन राय ने भारतीय समाज को अंधविश्वास, धार्मिक कट्टरता और महिलाओं के अधिकारों के बारे में जागरूक किया। उन्होंने भारतीय समाज में आधुनिकता की आवश्यकता को महसूस किया और शिक्षा, समाज सुधार, और धार्मिक तर्कसंगतता के जरिए भारतीय समाज को सुधारने की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किए। उनके योगदान के कारण उन्हें 'भारत का आधुनिक पुनर्जागरण' कहा जाता है, क्योंकि उनके सुधार आंदोलनों ने भारतीय समाज को पश्चिमी विचारधारा और विज्ञान से परिचित कराया और भारतीय समाज में तर्क और तात्त्विक विचारों का एक नया युग शुरू किया।
इस शोध पत्र का उद्देश्य राजा राममोहन राय द्वारा किए गए समाज सुधारों की जांच करना है और यह समझना है कि उनके सुधारों का भारतीय समाज पर क्या प्रभाव पड़ा। इस अध्ययन में हम उनके प्रमुख सुधार आंदोलनों, विचारधाराओं और उनके कार्यों पर ध्यान केंद्रित करेंगे। हम यह भी विश्लेषण करेंगे कि राजा राममोहन राय के योगदान ने भारतीय समाज को किस प्रकार प्रभावित किया और आज के समाज में उनके विचारों की प्रासंगिकता कितनी महत्वपूर्ण है।
राजा राममोहन राय ने न केवल धार्मिक कट्टरता और रूढ़िवादिता के खिलाफ संघर्ष किया, बल्कि उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में भी अपनी अहम भूमिका निभाई। उनका दृष्टिकोण था कि शिक्षा समाज की प्रगति का आधार है और बिना शिक्षा के कोई भी समाज विकास की ओर अग्रसर नहीं हो सकता। वे यह मानते थे कि समाज में बदलाव लाने के लिए तर्कसंगत शिक्षा आवश्यक है, जो व्यक्ति को स्वावलंबी और समाज के प्रति जिम्मेदार बनाए। उनके द्वारा किए गए प्रमुख सुधारों का अध्ययन करने से हमें यह समझने में मदद मिलेगी कि भारतीय समाज को कैसे एक नई दिशा मिली और कैसे उनके विचार आज भी समाज के विभिन्न पहलुओं में जीवित हैं। राजा राममोहन राय का योगदान भारतीय समाज के लिए एक अमूल्य धरोहर है, और उनका कार्य भारतीय समाज के सुधार में महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ।

राजा राममोहन राय का समाज सुधार के क्षेत्र में योगदान:
राजा राममोहन राय का समाज सुधार के क्षेत्र में योगदान अनमोल और ऐतिहासिक था। उनका कार्य भारतीय समाज को पुराने और जड़ता में फंसे दृष्टिकोण से बाहर निकालकर एक नए दृष्टिकोण की ओर अग्रसर करने में सहायक था। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता महसूस की और उस दिशा में कई क्रांतिकारी कदम उठाए। उनके सुधार कार्यों ने भारतीय समाज में शिक्षा, धर्म, और महिलाओं की स्थिति में एक नया मोड़ दिया। आइए, उनके समाज सुधार के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करते हैं:
1. धार्मिक सुधार: राजा राममोहन राय का प्रमुख योगदान धार्मिक सुधार के क्षेत्र में था। उन्होंने भारतीय समाज की धार्मिक आस्थाओं और रूढ़िवादिता पर गहरी प्रतिक्रिया दी। भारतीय समाज में प्रचलित मूर्तिपूजा, अंधविश्वास और धार्मिक कट्टरता को उन्होंने खुलकर चुनौती दी। राजा राममोहन राय का मानना था कि धर्म का वास्तविक उद्देश्य व्यक्ति की नैतिक उन्नति है, न कि कर्मकांडों और आडंबरों का पालन करना। वे वेदों, उपनिषदों और अन्य प्राचीन ग्रंथों का अध्ययन करते थे, और उन ग्रंथों से यह निष्कर्ष निकालते थे कि धार्मिक कर्मकांडों के बजाय सत्य, अहिंसा और नैतिकता पर आधारित जीवन जीना अधिक महत्वपूर्ण है। उनका धर्म के प्रति यह दृष्टिकोण एक व्यापक बदलाव का संकेत था, जो भारतीय समाज को धार्मिक तर्कसंगतता और आधुनिकता की ओर ले जाने के लिए आवश्यक था। उन्होंने विशेष रूप से मूर्तिपूजा और जातिवाद जैसी पुरानी प्रथाओं पर प्रहार किया, जो समाज में असमानता और भेदभाव का कारण बनती थीं।
2. सती प्रथा का विरोध: राजा राममोहन राय ने भारतीय समाज की महिलाओं की कठिन स्थिति को समझते हुए सती प्रथा के खिलाफ अभियान चलाया। सती प्रथा में एक विधवा को अपने पति की चिता में जलने के लिए मजबूर किया जाता था, जिसे वे न केवल अमानवीय मानते थे, बल्कि यह समाज के लिए एक शर्मनाक परंपरा थी। राममोहन राय का मानना था कि यह प्रथा महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन करती थी और यह एक कायरतापूर्ण और बर्बर परंपरा थी। उन्होंने इस प्रथा के खिलाफ लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए प्रचार किया और इसके परिणामस्वरूप 1829 में ईस्ट इंडिया कंपनी के गवर्नर जनरल लार्ड विलियम बेंटिंक ने सती प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया। यह भारत में महिलाओं के अधिकारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था और भारतीय समाज के लिए एक ऐतिहासिक परिवर्तन था। राजा राममोहन राय के इस कदम ने उन्हें भारतीय समाज के महान सुधारकों में स्थान दिलाया।
3. महिलाओं के अधिकार: राजा राममोहन राय ने महिलाओं की स्थिति को सुधारने के लिए कई कदम उठाए। उन्होंने हमेशा महिलाओं के समान अधिकारों की वकालत की। उनका मानना था कि यदि समाज में सच्चा बदलाव लाना है, तो महिलाओं का सशक्तिकरण आवश्यक है। उन्होंने महिलाओं को शिक्षा का अधिकार देने और सार्वजनिक जीवन में उनकी भूमिका को सशक्त बनाने के लिए कई कदम उठाए। उन्होंने महिलाओं को घरेलू और सार्वजनिक जीवन में समान अधिकार देने के लिए कई सामाजिक आंदोलनों का समर्थन किया। उनके अनुसार, महिलाओं के बिना समाज में सच्चा सुधार संभव नहीं है। राजा राममोहन राय के विचारों ने महिलाओं की स्थिति को सुधारने के लिए एक नया मार्ग प्रशस्त किया और उनके अधिकारों को मजबूत किया।
4. आधुनिक शिक्षा का प्रसार: राजा राममोहन राय ने शिक्षा के क्षेत्र में भी कई सुधार किए। उन्होंने भारतीय समाज में आधुनिक शिक्षा के महत्व को समझाया और इसके प्रसार के लिए कई कदम उठाए। उन्होंने अंग्रेजी शिक्षा को बढ़ावा दिया और इसे भारतीयों के लिए आवश्यक बताया, ताकि वे पश्चिमी ज्ञान और विज्ञान से अवगत हो सकें। राजा राममोहन राय ने 1828 में "बंगाली स्कूल" की स्थापना की, जिसका उद्देश्य भारतीयों को पश्चिमी शिक्षा और विज्ञान से परिचित कराना था। इसके अलावा, 1817 में उन्होंने "Atmiya Sabha" की स्थापना की, जहां वे धार्मिक और सामाजिक सुधारों पर चर्चा करते थे और शिक्षा के महत्व को समझाते थे। उनके इन प्रयासों ने भारतीय समाज को तर्क, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और पश्चिमी शिक्षा की दिशा में अग्रसर किया।
5. हिंदू कॉलेज की स्थापना: राजा राममोहन राय ने 1817 में कोलकाता में हिंदू कॉलेज की स्थापना की, जो भारतीय शिक्षा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना थी। यह कॉलेज पश्चिमी शिक्षा, विज्ञान, गणित और मानविकी के अध्ययन के लिए एक प्रमुख केंद्र बन गया। हिंदू कॉलेज की स्थापना से पहले, भारतीय शिक्षा मुख्य रूप से धार्मिक और संस्कृत साहित्य तक सीमित थी। राजा राममोहन राय के दृष्टिकोण से, आधुनिक शिक्षा की जरूरत थी, जो समाज को प्रौद्योगिकी, विज्ञान, गणित और मानवाधिकारों के बारे में शिक्षित करे। हिंदू कॉलेज के माध्यम से, उन्होंने भारतीय युवाओं को आधुनिक सोच और वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित किया, जो उस समय की आवश्यकता थी। इस कॉलेज ने भारतीय समाज में शिक्षा के स्तर को बढ़ाया और कई महत्वपूर्ण विचारकों और विद्वानों को जन्म दिया।
राजा राममोहन राय का समाज सुधार के क्षेत्र में योगदान अत्यधिक महत्वपूर्ण था। उनका कार्य भारतीय समाज के लिए एक नया दृष्टिकोण लेकर आया, जिसने समाज में न केवल धार्मिक और सामाजिक सुधारों की नींव रखी, बल्कि महिलाओं के अधिकारों और शिक्षा के क्षेत्र में भी अद्वितीय योगदान दिया। राजा राममोहन राय के विचार और उनके कार्य आज भी समाज के लिए प्रेरणास्त्रोत बने हुए हैं। उन्होंने भारतीय समाज में सुधार की दिशा में जो कार्य किया, वह हमेशा याद रखा जाएगा और भारतीय समाज को एक नई दिशा देने में उनकी भूमिका अविस्मरणीय रहेगी।

राजा राममोहन राय के विचार और उनका समाज पर प्रभाव:
राजा राममोहन राय के विचारों ने भारतीय समाज को एक नई दिशा दी, जो उस समय के प्रचलित रूढ़िवादिता, जातिवाद और अंधविश्वास से पूरी तरह उलट थी। उन्होंने न केवल धार्मिक कट्टरता को चुनौती दी, बल्कि समाज में तर्क, विज्ञान और मानवाधिकारों के महत्व को स्थापित किया। उनका दृष्टिकोण भारतीय समाज में समावेशी, प्रगतिशील और समतामूलक सोच की नींव रखने में सहायक था। राजा राममोहन राय ने भारतीय समाज को पिछड़ेपन से बाहर निकालने की दिशा में जो कार्य किया, वह अनमोल था और आज भी उनकी शिक्षाओं का समाज पर गहरा प्रभाव पड़ा है।
1. जातिवाद और सामाजिक भेदभाव पर प्रहार: राजा राममोहन राय ने भारतीय समाज में जातिवाद और सामाजिक भेदभाव के खिलाफ मुखर आवाज उठाई। उन्होंने यह महसूस किया कि जातिवाद एक ऐसी सामाजिक बुराई है जो समाज को विभाजित करती है और लोगों को उनके जन्म के आधार पर छोटे-बड़े वर्गों में बांट देती है। उनके विचारों के अनुसार, हर व्यक्ति को समान अधिकार और अवसर मिलने चाहिए, चाहे वह किसी भी जाति, धर्म या समाज से संबंध रखता हो। उन्होंने समाज में असमानता और भेदभाव के खिलाफ संघर्ष किया और इसके लिए कई सुधारात्मक उपाय सुझाए। उनके इस दृष्टिकोण ने भारतीय समाज में जातिवाद को चुनौती दी और समाज को समानता और एकता के सिद्धांत पर आधारित जीवन जीने की प्रेरणा दी। उनकी विचारधारा ने समाज के निचले वर्गों, विशेषकर दलितों और महिलाओं, के अधिकारों को मान्यता दिलाने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान किया।
2. धार्मिक सुधार और अंधविश्वास के खिलाफ लड़ाई: राजा राममोहन राय का सबसे बड़ा योगदान धार्मिक सुधार था। उन्होंने भारतीय समाज में प्रचलित धार्मिक अंधविश्वासों और कर्मकांडों को सख्ती से नकारा और धर्म को एक ऐसा मार्गदर्शन माना, जो व्यक्तिगत नैतिकता और आत्मिक उन्नति की ओर ले जाए। उन्होंने धार्मिक तर्कसंगतता पर जोर दिया और प्रचलित मूर्तिपूजा, जादू-टोने, तंत्र-मंत्र और अन्य अंधविश्वासों को अस्वीकार किया। राममोहन राय का मानना था कि धार्मिक आस्थाओं को तर्क, सत्य और विज्ञान के आधार पर परखा जाना चाहिए। वे मानते थे कि वेदों और उपनिषदों के ज्ञान में छिपे सत्य को समझना चाहिए, और अंधविश्वासों के बजाय विज्ञान और तर्क को अपनाना चाहिए। उनका यह दृष्टिकोण धार्मिक कट्टरता और पंथों के बीच संघर्ष को समाप्त करने में मददगार सिद्ध हुआ। उनकी यह विचारधारा आज भी भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं में जीवित है, जहां तर्कसंगत सोच और धार्मिक सहिष्णुता की आवश्यकता है।
3. महिलाओं के अधिकारों में सुधार: राजा राममोहन राय ने महिलाओं के अधिकारों में सुधार की दिशा में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने महसूस किया कि महिलाओं की सामाजिक स्थिति सुधारने के लिए उन्हें शिक्षा और स्वतंत्रता का अधिकार दिया जाना चाहिए। उन्होंने महिलाओं के खिलाफ हो रहे शोषण और असमानता के खिलाफ आवाज उठाई और उनके लिए बेहतर जीवन की संभावनाओं की वकालत की। राजा राममोहन राय ने सती प्रथा के खिलाफ अभियान चलाया, जिसके कारण इस अमानवीय प्रथा को समाप्त किया गया। इसके अलावा, उन्होंने महिलाओं को शिक्षा का अधिकार देने की वकालत की, जिससे महिलाओं को समाज में अपनी पहचान बनाने का अवसर मिला। उनकी सोच ने भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति में सुधार की दिशा में कई बदलावों की शुरुआत की, और यह आज भी भारतीय समाज में एक सशक्त और समान अधिकारों वाली महिला की भूमिका को प्रोत्साहित करता है।
4. आधुनिक शिक्षा का प्रचार: राजा राममोहन राय ने भारतीय समाज में आधुनिक शिक्षा की आवश्यकता को समझा और इसे प्रसारित करने के लिए कई कदम उठाए। उन्होंने पश्चिमी शिक्षा, विज्ञान और गणित की शिक्षा को प्रोत्साहित किया और भारतीयों को इन क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने 1828 में "बंगाली स्कूल" की स्थापना की, जिसका उद्देश्य भारतीयों को पश्चिमी शिक्षा और विज्ञान से अवगत कराना था। इसके अलावा, उन्होंने हिंदू कॉलेज की स्थापना की, जिसने आधुनिक शिक्षा की धारा को भारतीय समाज में फैलाने का काम किया। उनकी यह पहल भारतीय समाज को एक नई दिशा देने में सफल रही, जहां शिक्षा केवल धार्मिक या पारंपरिक ज्ञान तक सीमित नहीं थी, बल्कि यह वैज्ञानिक, तर्कसंगत और समाज के समग्र विकास के लिए आवश्यक समझी जाने लगी।
5. समाज में जागरूकता और सुधार की प्रक्रिया: राजा राममोहन राय के विचारों का प्रभाव भारतीय समाज में गहरे तौर पर देखा गया। उनकी शिक्षाओं और कार्यों ने समाज में जागरूकता की प्रक्रिया को तेज किया। उन्होंने समाज को यह समझने में मदद की कि परिवर्तन संभव है और इसके लिए सही सोच, शिक्षा और सुधारात्मक कदम उठाने की आवश्यकता है। उनके योगदान से भारतीय समाज में सुधार की प्रक्रिया को एक दिशा मिली, जिसमें तर्क, मानवाधिकार, समानता और न्याय को प्रमुख स्थान दिया गया। उनके विचारों ने भारतीय समाज के विभिन्न हिस्सों को एकजुट किया और यह विश्वास दिलाया कि समाज में बदलाव संभव है, यदि हम अपने पुरानी परंपराओं और रूढ़िवादों से बाहर निकलें।
राजा राममोहन राय के विचार और उनके समाज पर प्रभाव आज भी भारतीय समाज में प्रासंगिक हैं। उन्होंने समाज को अंधविश्वास, जातिवाद, धार्मिक कट्टरता और महिलाओं के अधिकारों के बारे में जागरूक किया और उनका योगदान भारतीय समाज में गहरे सुधारों की नींव बन गया। उनके विचारों ने समाज को प्रगति, समानता, तर्क और धर्म के सही अर्थों को समझने की दिशा में अग्रसर किया। राजा राममोहन राय के कार्यों और विचारों का प्रभाव भारतीय समाज में लंबे समय तक बना रहेगा और उनकी शिक्षाएं हम सभी को आज भी प्रेरित करती हैं।

निष्कर्ष:
राजा राममोहन राय भारतीय समाज के एक महान सुधारक थे जिन्होंने सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में असंख्य सुधारों का नेतृत्व किया। उनका योगदान विशेष रूप से महिलाओं के अधिकारों, शिक्षा के प्रसार, और धार्मिक कट्टरता के खिलाफ उनके संघर्ष के लिए याद किया जाता है। उन्होंने भारतीय समाज को अंधविश्वास, जातिवाद और रूढ़िवादिता से मुक्त कर एक प्रबुद्ध, समतावादी और न्यायपूर्ण समाज की नींव रखने का कार्य किया। राजा राममोहन राय का यह दृष्टिकोण न केवल उनके समय में, बल्कि आज भी अत्यधिक प्रासंगिक है। उन्होंने समाज के पिछड़े वर्गों, विशेषकर महिलाओं, के लिए आवाज उठाई और उनकी सामाजिक स्थिति में सुधार की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। सती प्रथा के खिलाफ उनका संघर्ष और महिलाओं को शिक्षा का अधिकार देने की उनकी वकालत ने समाज में महिलाओं के अधिकारों को मजबूत किया। उनकी विचारधारा ने भारतीय समाज में तर्क, मानवाधिकार और समानता की भावना को बढ़ावा दिया। उनकी शिक्षा प्रणाली ने भारतीयों को पश्चिमी ज्ञान से परिचित कराया और आधुनिकता की ओर अग्रसर किया। राजा राममोहन राय के विचारों और उनके कार्यों का प्रभाव भारतीय समाज पर गहरे तौर पर पड़ा है और यह प्रभाव भविष्य में भी बना रहेगा। उनका योगदान भारतीय समाज को बेहतर बनाने के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगा और उनके द्वारा किए गए सुधारों को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। राजा राममोहन राय का जीवन और कार्य हमें यह सिखाता है कि किसी भी समाज को प्रगति और विकास के रास्ते पर ले जाने के लिए आवश्यक है कि हम सामाजिक कुरीतियों का विरोध करें, समानता और तर्क के आधार पर निर्णय लें, और सभी नागरिकों को समान अवसर और अधिकार प्रदान करें।

संदर्भ सूची (References)
1. दास, एस. (2003). राजा राममोहन राय: भारतीय समाज सुधार के पायनियर. नई दिल्ली: एटलांटिक पब्लिशर्स।
2. सेन, एस. (2006). राजा राममोहन राय और आधुनिक भारत का निर्माण. न्यूयॉर्क: ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस।
3. चक्रवर्ती, ए. (1995). राजा राममोहन राय के सामाजिक और धार्मिक सुधार. कोलकाता: एशियाटिक सोसाइटी।
4. राव, एम. एस. ए. (2005). भारत में सामाजिक सुधार आंदोलनों: ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य. नई दिल्ली: सेज पब्लिकेशंस।
5. रॉय, आर. (2012). राजा राममोहन राय के संग्रहीत कार्य. खंड 1-3. नई दिल्ली: प्रकाशन विभाग, सूचना और प्रसारण मंत्रालय।
6. बैनर्जी, ए. (2008). राजा राममोहन राय और आधुनिक भारतीय विचारों की शुरुआत. नई दिल्ली: रवि कुमार पब्लिशर्स।
7. चट्टोपाध्याय, पी. (1993). राष्ट्र और उसके खंड: उपनिवेशी और उपनिवेशोत्तर इतिहास. प्रिंसटन: प्रिंसटन यूनिवर्सिटी प्रेस।
8. टंडन, एस. (2010). महिला अधिकार और सामाजिक सुधार: राजा राममोहन राय की भूमिका. जयपुर: राज पब्लिकेशन्स।
9. कुमार, आर. (2001). भारतीय सुधारक: राजा राममोहन राय और उनका योगदान. नई दिल्ली: मनोहर पब्लिशर्स।
10. गुप्ता, आर. (2014). राजा राममोहन राय और भारतीय समाज का सुधार. कोलकाता: शिवानी पब्लिकेशन्स।
11. गुप्ता, डी. (1999). सती और भारतीय महिलाओं के अधिकार: ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य. नई दिल्ली: विकास पब्लिशिंग हाउस।
12. बोस, एन. (2007). राजा राममोहन राय का सामाजिक चिंतन. कोलकाता: रवींद्र भारती विश्वविद्यालय प्रेस।
13. इस्लाम, ए. (2009). सुधार का युग: राजा राममोहन राय का योगदान. दिल्ली: अकादमिक पब्लिकेशन्स।
Keywords .
Field Arts
Published In Volume 16, Issue 1, January-June 2025
Published On 2025-04-02
Cite This राजा राममोहन राय द्वारा समाज सुधार - Kapil kumar meena - IJAIDR Volume 16, Issue 1, January-June 2025.

Share this