Journal of Advances in Developmental Research

E-ISSN: 0976-4844     Impact Factor: 9.71

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हिंदी मीडिया: जीवन की नई दिशा और गति

Author(s) Kanhaiya Lal Sagitra
Country India
Abstract जनसंचार एक ऐसी प्रक्रिया है, जो अब केवल एक समुदाय तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि यह विभिन्न जन समूहों को आपस में जोड़ने का एक प्रभावशाली माध्यम बन चुका है। इसके विकास के साथ समय-समय पर जनसंचार के तरीके भी बदलते रहे हैं, और इंटरनेट का आगमन इस बदलाव का मुख्य कारक रहा है, जिसने संचार क्रांति को गति दी और सोशल मीडिया की स्थापना को संभव बनाया। इस परिवर्तन ने न केवल मनुष्य के जीवन, जीवनशैली और कार्यप्रणाली में बदलाव किया, बल्कि यह भी दिखाया कि अब एक नई दिशा में सोचने का तरीका विकसित हो रहा है। सोशल मीडिया ने मनुष्यों के बीच की दूरी को कम कर दिया है और कई प्रकार की ज्ञानवर्धक, मनोरंजक, सामाजिक और राजनीतिक साइट्स उपलब्ध कराई हैं, जो सभी वर्गों को एकजुट करती हैं। इसके माध्यम से न केवल व्यक्तिगत रूप से, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी लोग जुड़कर लाभ उठा रहे हैं। यही कारण है कि आज के समय में सोशल मीडिया का प्रभाव हर व्यक्ति के जीवन में इतना व्यापक हो गया है कि इसके बिना जीवन की कल्पना भी असंभव सी लगती है। सोशल नेटवर्किंग साइट्स की वजह से यह ऐसा लगता है कि जीवन की गाड़ी, जो पहले सामान्य गति से चल रही थी, अब तेजी से दौड़ने लगी है। यह परिवर्तन सोशल मीडिया के प्रभाव का परिणाम है, जिसने दुनिया भर के लोगों को एक ही मंच पर लाकर उन्हें संवाद और विचारों का आदान-प्रदान करने का अवसर दिया है। इसके अलावा, सोशल मीडिया ने आम जन को अपनी राय और विचार सार्वजनिक रूप से व्यक्त करने की स्वतंत्रता दी है, जिससे यह जनमाध्यम समाज में अपनी एक नई पहचान बना चुका है।
हालांकि सोशल मीडिया का प्रभाव समाज में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों रूपों में दिखाई देता है, लेकिन आज यह एक महत्वपूर्ण जनमाध्यम बन चुका है, जिसे हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा माना जाता है। इसके द्वारा मनुष्य ने घर बैठे न केवल कई जीवन यापन के विकल्प खोजे हैं, बल्कि कई बार यह एक व्यसन के रूप में भी विकसित हो गया है, जिससे व्यक्ति एक नई दुनिया में खो जाता है।

मुख्य शब्द: सोशल मीडिया, जनमाध्यम, जनसंचार, इंटरनेट सूचना क्रांति, सोशल नेटवर्किंग साइट्स

आलेख :
मनुष्य सामाजिक प्राणी है, और समाज से जुड़कर ही उसका सम्पूर्ण विकास संभव है। समाज से पृथक एक व्यक्ति की कोई पहचान नहीं हो सकती, क्योंकि उसे उसकी असल पहचान समाज ही प्रदान करता है। अक्सर हम सुनते हैं, जब कोई व्यक्ति दूसरों से मिलता है तो वह कहता है कि वह बहुत अधिक 'सोशल' है या नहीं है। यहां 'सोशल' शब्द से तात्पर्य होता है कि वह व्यक्ति समाज से जुड़ा हुआ है, दूसरों से संवाद स्थापित करता है, भावनात्मक रूप से जुड़कर उनकी खुशियाँ और दुख साझा करता है, और उनकी सहायता करता है। यही समाजिकता की पहचान है।
सोशल मीडिया भी इसी प्रकार का एक मंच है, जहां लोग आपस में जुड़े रहते हैं और परस्पर संवाद करते हैं। यह एक कड़ी के रूप में कार्य करता है, जो समय के साथ निरंतर बढ़ती जाती है। समाज और सामाजिकता के इस संदर्भ में सोशल मीडिया का अर्थ समझना सरल हो जाता है। सोशल मीडिया ने आज के दौर में अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता को प्रदान किया है, नई कल्पनाओं को जन्म दिया है, और समाज में नए बदलावों और व्यवस्थाओं को सामने लाया है। अब यह केवल एक संचार माध्यम नहीं रह गया है, बल्कि यह हर व्यक्ति के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है।
जब हम संचार की बात करते हैं, तो यह समझते हैं कि संचार वह प्रक्रिया है जो हमें आपस में जोड़ती है, जो हमें एक दूसरे तक सूचनाएँ पहुँचाती है, और जो समाज में एक समन्वय स्थापित करती है। आर्थिक उदारीकरण के दौर में सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हुई प्रगति ने संचार के साधनों में क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं। पहले जो मीडिया केवल कुछ विशेष वर्गों तक सीमित था, अब वह हर घर, हर गली, हर वर्ग तक पहुँच चुका है। पहले जो संचार के साधन सीमित थे, अब न जाने कितने नए माध्यम विकसित हो चुके हैं। यदि हम प्राचीन समय की ओर देखें, तो उस समय सूचना पहुँचाने का कार्य हरकारों के द्वारा किया जाता था। सार्वजनिक सूचना के लिए होल और नगाड़ों का उपयोग किया जाता था, जिनसे सभी को एकत्रित कर जरूरी सूचना दी जाती थी। समय के साथ डाक व्यवस्था का आरंभ हुआ, और फिर पत्र, चिट्ठी और डाक तार का सिलसिला चला। छापाखाने के आगमन के साथ प्रिंट मीडिया का जन्म हुआ, और इसके बाद इलैक्ट्रोनिक मीडिया ने मुद्रित माध्यमों की गति को धीमा किया।
स्वाधीनता आंदोलन और स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी हमारा प्रिंट मीडिया एक जागरूक प्रहरी बनकर देशवासियों को जागरूक करने में सक्षम था। हालाँकि, आज के समय में मीडिया पर बाजारवाद का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। प्रतिस्पर्धा का बाज़ार इस हद तक गर्म है कि हर कोई अपनी स्थिति को बेहतर बनाने के लिए प्रयासरत है। भूमंडलीकरण, वैश्वीकरण और उपभोक्तावादी संस्कृति के परिणामस्वरूप संचार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं, जिसके फलस्वरूप जनसंचार के नए विकल्प भी खुले हैं। इस प्रकार, सोशल मीडिया ने समाज और संचार के क्षेत्र में नए दृष्टिकोण और विकल्प पेश किए हैं, जिससे हम एक नई दुनिया और समाज को समझने और अपनाने में सक्षम हो गए हैं। यह बदलाव न केवल व्यक्तिगत स्तर पर, बल्कि समाज और संस्कृति पर भी गहरा प्रभाव डाल रहा है।
आरंभ में, जनसंचार माध्यमों की दुनिया समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, रेडियो और दूरदर्शन तक सीमित थी। दूरभाष की सुविधा भी थी, लेकिन इन सभी का दायरा सीमित था। उन दिनों बाजारवाद की कोई स्पष्ट छाप नहीं थी। इन माध्यमों में प्रसारित सभी सूचनाएँ और कार्यक्रम अपने स्तर पर परिष्कृत और मर्यादित हुआ करते थे। हर वर्ग के लिए उपयुक्त और मनोरंजन से भरपूर कार्यक्रम तैयार किए जाते थे। उस समय कार्यक्रमों की विविधता कम थी, लेकिन जो कुछ भी था, वह उपयोगी, स्तरीय और रुचिकर होता था। एक ही चैनल पर गीत-संगीत, ज्ञानवर्धक कार्यक्रम, बच्चों और बड़ों के लिए अलग-अलग कार्यक्रमों का प्रसारण होता था। बच्चों से लेकर वयस्कों तक, सभी समाचार पत्र और पत्रिकाएँ पढ़ते थे, जिससे उनकी पठन-पाठन की क्षमता और कौशल निरंतर विकसित होता रहता था, जो आज के समय में दुर्लभ सा हो गया है।
आज के समय में नई तकनीकों जैसे स्मार्टफोन, लैपटॉप और टैबलेट्स ने हमें एक नई डिजिटल दुनिया से परिचित कराया है। इन उपकरणों के बाजार में निरंतर वृद्धि हो रही है, और कंपनियाँ अपने नए-नए मॉडल्स और संस्करणों के साथ उपभोक्ताओं को आकर्षित करने की होड़ में हैं। इन उपकरणों के माध्यम से हमें किसी भी जानकारी, सूचना, या सामग्री के लिए बाहर जाने की आवश्यकता नहीं है; सब कुछ घर बैठे, एक ही स्थान पर उपलब्ध है। ये नए उपकरण सामाजिक मीडिया के महत्वपूर्ण हिस्से हैं, जो हमें न केवल सूचनाओं से जोड़ते हैं, बल्कि हमारे मानसिक और शारीरिक गतिविधियों को भी प्रभावित करते हैं। प्रतिस्पर्धा के इस दौर में, आजकल टेलीविज़न इंडस्ट्री के अधिकांश बड़े चैनल मोबाइल प्लेटफॉर्म में रुचि दिखा रहे हैं। भारत में 3जी और 4जी मोबाइल सेवाओं के आगमन के साथ, अब मोबाइल फोन पर टेलीविज़न कार्यक्रम देखना संभव हो गया है। इसने हमारे संचार और मनोरंजन के अनुभव को पूरी तरह से बदल दिया है और एक नई दिशा में मोड़ा है। "नया मीडिया संसार" (डॉ. कृष्ण कुमार रत्तू, पृ. 21, वाइकिंग बुक्स, 2012) के अनुसार, यह परिवर्तन एक ऐसा कदम है, जिसने मीडिया और संचार की दुनिया को एक नए रूप में ढाला है, जो अब हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। परिवर्तन ही प्रकृति का मूल नियम है, और यही नियम जनसंचार के क्षेत्र में भी लागू हुआ, जब इंटरनेट सेवा का आरंभ हुआ। इसने न केवल हमारे समाज को, बल्कि वैश्विक स्तर पर हर क्षेत्र—निजी, व्यावसायिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक—को गहरे प्रभावित किया। आज, एक ही स्थान पर बैठे-बैठे हम पूरी दुनिया से जुड़ सकते हैं, कहीं से भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, और किसी भी विषय से संबंधित सामग्री इंटरनेट के माध्यम से आसानी से हासिल कर सकते हैं। सोशल मीडिया क्रांति भी इंटरनेट का ही परिणाम है। इसने पूरी दुनिया को एक विशाल नेटवर्क में बदल दिया है, जिससे मुक्ति की कल्पना अब कठिन लगने लगी है।
संचार क्रांति के साथ-साथ नए साधनों का विकास हुआ, और यह सोशल मीडिया के रूप में प्रकट हुआ। सोशल मीडिया, जैसे यूट्यूब, फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, आज हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गए हैं। इन प्लेटफार्मों के बिना आज के समय की कल्पना भी नहीं की जा सकती। सोशल मीडिया का प्रभाव इस हद तक बढ़ चुका है कि अब हर चीज़ को उसकी उपस्थिति और प्रभाव के आधार पर मापा जाने लगा है। अब हर व्यक्ति, संस्था, कंपनी, सरकार, साहित्यकार, समाजसेवी, नेता, अभिनेता, सभी को सोशल मीडिया पर उनके प्रभाव और लोकप्रियता के पैमाने पर तौला जाता है। पारंपरिक जन माध्यमों को चुनौती देता यह नया मीडिया तेजी से विस्तृत हो रहा है और संवाद के एक नए तरीके के रूप में विकसित हो रहा है। इस परिवर्तन का परिणाम है कि 'आज का मीडिया', जिसे 'न्यू मीडिया' के नाम से जाना जाता है, निरंतर विकास की दिशा में अग्रसर है। न्यू मीडिया का एक महत्वपूर्ण रूप है सोशल नेटवर्किंग। 'सोशल' का अर्थ है सामाजिक और 'मीडिया' का अर्थ है माध्यम—यानी ऐसा माध्यम जो पूरी दुनिया के लोगों के साथ संवाद स्थापित करने का अवसर प्रदान करता है।
आज का मीडिया, अर्थात सोशल मीडिया, शिक्षा से लेकर मनोरंजन, जीवनशैली, खानपान, विचारों के आदान-प्रदान, कला, संगीत, सिनेमा, और सूचनाओं के आदान-प्रदान का एक सशक्त और प्रभावी माध्यम बन चुका है। इसके द्वारा हम न केवल अपने परिचितों से संपर्क करते हैं, बल्कि दुनिया भर के लोगों से जुड़ सकते हैं। इंटरनेट ने वैश्विक स्तर पर हमें एक दूसरे से जोड़कर किसी सुखद आश्चर्य से कम परिणाम नहीं उत्पन्न किया है। भारत में कई सोशल नेटवर्किंग साइट्स हैं, जैसे व्हाट्सएप, ट्विटर, फेसबुक, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, और लिंक्डइन, जो लोगों के बीच संपर्क और संवाद को और भी आसान बनाती हैं। जब हमें किसी को बधाई देनी होती है, तो हम उन्हें व्हाट्सएप या फेसबुक पर बधाई संदेश भेज सकते हैं और साथ ही प्रतीकात्मक चित्र, आडियो या वीडियो संदेश के माध्यम से अपने विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं। आज, सोशल मीडिया से जुड़ा हर व्यक्ति पत्रकार की भूमिका निभा रहा है। वह अपनी आवाज़ को बुलंद करता है और ब्लॉग, फेसबुक, ट्विटर, आदि के माध्यम से किसी भी मुद्दे को वैश्विक स्तर तक पहुंचा सकता है। सोशल मीडिया ने हमें अपने विचारों को साझा करने और दुनिया भर के लोगों तक अपनी बात पहुँचाने की एक नई स्वतंत्रता दी है।

निष्कर्ष
सोशल मीडिया ने हमारे जीवन को पूरी तरह से प्रभावित किया है और इसके प्रभाव ने हमारी दुनिया को नय
Keywords .
Field Arts
Published In Volume 16, Issue 1, January-June 2025
Published On 2025-01-20
Cite This हिंदी मीडिया: जीवन की नई दिशा और गति - Kanhaiya Lal Sagitra - IJAIDR Volume 16, Issue 1, January-June 2025.

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